Wednesday, 12 December 2007

संतोष आनंद

बालीवुड के प्रख्यात गीतकार संतोष आनंद से एक मुलाक़ात की बात याद आती है । हमारे एक रिश्तेदार के नगर में 'गीत-संगीत' नामक संस्था की ओर से कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया था। आयोजन की समाप्ति पर हम कुछ बच्चे -बच्चियां उनसे आटोग्राफ लेने पहुंचे । जब मेरी बारी आयी तो मैंने उनसे ( यानी संतोष आनंद जी से ) कहा - अंकल, सिर्फ दस्तखत से काम नहीं चलेगा । प्लीज दो पंक्तियाँ कविता की भी हो जाये । वे मुस्कुराए , कुछ पल सोचने में बिताये और तब कलम उठाई। जो लिखा वह यह था :-

हाथों की रेखाएं किस्मत के धागे
करते तो करते क्या स्वप्न थे अभागे
दर्द थे हजारों और मैं अकेला था
गीत थे हजारों और मैं अकेला था ।

यह करीब-करीब ३० से ३५ साल पुरानी बात है ।

---- सावित्री १२.१२.२००७

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